भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का 24- वां राज्य सम्मेलन हनुमानगढ़ में सम्पन्न-
- समाज को बांटने की राजनीति के खिलाफ जनता के जीवन में जुड़े सवालों पर लामबंद करेगी सीपीआई(एम)
- का.वृन्दा करात।
- देश का किसान और मजदूर त्रस्त है और नरेंद्र मोदी भाषणों में मस्त है- का.वीजू कृष्णन
- पैंतीस सदस्यीय राज्य कमेटी और ग्यारह सदस्यीय राज्य सचिव मंडल का चुनाव।
- का.किशन पारीक राज्य सचिव चुने गए।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का 24- वां राज्य सम्मेलन आज हनुमानगढ़ में का.सीताराम येचुरी नगर,का.बृज लाल भादू मंच और का.बिजला सिंह सभागार में सम्पन्न हुआ।
आज़ तीन दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन सम्मेलन ने नयी पैंतीस सदस्यीय राज्य कमेटी और ग्यारह सदस्यीय राज्य सचिव मंडल का चुनाव किया गया। सम्मेलन में का. किशन पारीक को राज्य सचिव चुना गया।
24 वें राज्य सम्मेलन में चुना गया 11 सदस्यीय राज्य सचिव मंडल एवं 35 सदस्यीय राज्य कमेटी का चुनाव किया गया।
राज्य सचिव मंडल सदस्य:-
- कॉ. अमराराम
- कॉ. रामेश्वर वर्मा
- कॉ. फूलचंद बर्बर
- कॉ. दुलीचंद
- कॉ. श्योपत राम
- कॉ. छगन चौधरी
- कॉ. किशन पारिक
- कॉ. सुमित्रा चोपड़ा
- कॉ. पेमाराम
- डॉ.संजय”माधव”
- कॉ. दुर्गा स्वामी
राज्य कमेटी सदस्य:- - कॉ. रामरतन बगड़िया
- कॉ. रामप्रसाद जांगिड
- कॉ. मोतीलाल शर्मा
- कॉ. महादेव
- कॉ. सुन्दर बैनीवाल
- कॉ. हरफूल सिंह
- कॉ. आबिद हुसैन
- कॉ. रघुवीर वर्मा
- कॉ. कालू थोरी
- कॉ. निर्मल प्रजापत
- कॉ. गौतम डामोर
- कॉ. विमल भगौरा
- कॉ. भागीरथ यादव
- कॉ. बी.एस. राणा
- कॉ. रईसा
- कॉ. राजेश बिजारणीयां
- कॉ. किशन मेघवाल
- कॉ. सीमा जैन
- कॉ. भंवर सिंह
- कॉ. बलवान पूनियां
- कॉ. राजेश सिंघवी
- कॉ. आर. सी. शर्मा
- कॉ. वकील सिंह
- कॉ. हबीब खान
विशेष आमंत्रित - कॉ. हेतराम बेनिवाल
- कॉ. रविंद्र शुक्ला
- कॉ. वासुदेव
आमंत्रित - कॉ. कमला मेघवाल
- कॉ. शेर सिंह शाक्य
- कॉ. चंद्रकला वर्मा
- कॉ. ओमप्रकाश यादव
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) पोलित ब्यूरो सदस्य,पूर्व राज्यसभा सांसद का. वृंदा कारात ने कहा कि भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 में मिले सबक को अनदेखा करते हुये आरएसएस की विभाजनकारी राजनीति को आगे बढ़ाने में लगी है। देश में जगह – जगह मस्जिदों के नीचे भगवान खोजने के अभियान के नाम पर, आम जनता को साम्प्रदायिक आग में झोंकने में लगी है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, हाईकोर्ट के जज से लेकर भाजपा नेता, संविधान की शपथ का उल्लंघन कर रहे है। मणिपुर जल रहा है, लेकिन सरकार चुप है। भाजपा नेताओं के बच्चे विदेश पढ़ते है, आम जनता के बच्चों को शिक्षक तक उपलब्ध नहीं है। देश में व्यापार, ,खेती में मंदी है और आवश्यक वस्तुओं में आसमान छूती महंगाई है। ऐसे में भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का मुकाबला, जनता के जीवन के मुद्दों पर संघर्ष को मजबूत करने काम सीपीआई (एम) करेगी।
सीपीआई(एम) की केंद्रीय सचिव मंडल सदस्य वीजू कृष्णन ने कहां कि देश में मजदूर और किसान को मिलाकर दो तिहाई आबादी है।
आज किसान एमएसपी गारंटी, भूमि अधिग्रहण, आवारा पशुओं की समस्या ,सरकारी भाव पर फसल खरीद सहित अन्य मुद्दों पर 2020 से सड़क पर लाठी,गोली का रहे हैं तो मजदूर श्रम कानूनों में बदलाव, ठेका प्रथा, न्यूनतम मजदूरी न मिलने, निजीकरण के खिलाफ लड़ रहे है।
आज देश का किसान-मजदूर और आम जनता भाजपा-आरएसएस की जन-विरोधी नीतियों से त्रस्त है और देश का प्रधानमंत्री भाषणों में मस्त है।
तीन दिवसीय सम्मेलन में राज्य सचिव द्वारा प्रस्तुत की गई तीन साल की रिपोर्ट पर प्रतिनिधियों द्वारा गंभीर बहस की गई।
राज्य सचिव द्वारा बहस का जवाब देने के बाद रिपोर्ट को सर्वसम्मति से पारित किया गया। सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर प्रस्ताव पारित करते हुये इन मुद्दों पर राज्य में संघर्ष करने का निर्णय लिया गया।
सम्मेलन में केन्द्र और राज्य की भाजपा-आरएसएस सरकारों द्वारा शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में लागू की जा रही नव-उदारवादी और साम्प्रदायिकरण की नीतियों के विरोध में प्रस्ताव पारित करते हुये कहा कि इन नीतियों के तहत एक तरफ शिक्षा के निजीकरण, साम्प्रदायिकरण किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर नई शिक्षा नीति और रोजगार के क्षेत्र में लागू की जा रही निजीकरण उदारीकरण की नीतियों से राजस्थान में बेरोजगारी, अर्द्ध बेरोज़गारी और असुरक्षित रोजगारों में बढ़ोतरी हो रही है।
सम्मेलन में बढ़ते महिला अत्याचारों के ख़िलाफ और महिला आरक्षण व महिला समानता के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।देश औऱ राज्य में महिलाओं के ख़िलाफ बढ़ते अपराधों पर गम्भीर चिंता प्रकट करते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि महिला अत्यचारों पर रोक लगाने,औऱ महिलाओं को देश के संविधान अनुसार बराबरी औऱ अधिकार दिए जाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है,राज्य में कई इलाकों में तो आज भी महिलाओ को अंध विश्वास का शिकार होते हुए डाकन,चुड़ैल जैसे कंलको से दो-चार होना पड़ता है।
सम्मेलन में राज्य में सभी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। राज्य की सरकार आजादी के 78 साल बाद भी राज्य के बड़े ग्रामीण औऱ शहरी क्षेत्रों के बड़े हिस्से में आम जनता को शुद्ध पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने में असफल रही हैं। पानी जो एक प्राकृतिक संसाधन है ऐसे संसाधनों को नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों की भेंट चढ़ाते हुए पूंजीपतियों को मुनाफाखोरी के लिए सौंपने का षड्यंत्र रच रहें हैं।
सम्मेलन में बिजली क्षेत्र के निजीकरण के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि बिजली क्षेत्र में निजीकरण के लिए उठाये गये कदम जनविरोधी है,बिजली के क्षेत्र में लागू की जा रही इन जनविरोधी नीतियों के तहत बिजली क्षेत्र का पूरी तरह से केन्द्रीकरण और व्यावसायिकरण किया जा रहा है जिसका कि देश के किसानों, मजदूरों और आम गरीब जनता पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
आज के समय में बिजली, जो कि हर आम और खास की जिन्दगी का जरूरी हिस्सा है, इन नीतियों की मार से बिजली आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जायेगी,पुराने मीटरों को हटा कर उनके स्थान पर नये स्मार्ट मीटर लगाने के रूप में जनता के ऊपर डाले जा रहे करोड़ों रुपए के बोझ का विरोध करते हुये स्मार्ट मीटर लगाने की कार्यवाही पर तुरंत रोक लगाने को लेकर राज्यभर में आंदोलन तेज करना होगा।
सम्मेलन में बिजली के निजीकरण और स्मार्ट मीटर के ख़िलाफ़ प्रस्ताव, फिलिस्तीन में जारी इज़रायल के नरसंहार के ख़िलाफ़ प्रस्ताव , पीने के पानी के लिए,आदिवासियों को रोज़गार से वंचित किए जाने के ख़िलाफ़ प्रस्ताव, राज्य में न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाने के लिए प्रस्ताव, दलितों पर अत्याचार के ख़िलाफ़ आदि मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किये गये।